Shanti Reflects – My MukkaMaar Fellowship Experience
नाम शांती…पर जीवन में बिलकुल शांति नहीं थी…लाईफ की पूरी लगी पड़ी थी…जिंदगी कहा जा रही थी, कौन से रास्ते से जा रही है कुछ समझ नहीं आ रहा था। 9 से 5 वाला जॉब था…पैसे मिल रहे थे…भागादौड़ी भी थी, पर सुकून नाम की चीज़ नहीं थी… एक टाइम ऐसे भी आया की जॉब के वजह से मानसिक और शारीरिक हेल्थ बिघड़ गई…डिप्रेशन, बुरे विचार, घर का प्रेशर इस से बाहर निकलने का रास्ता ही नहीं था। फिर मैंने जॉब छोड़ दिया…सोचा देख लेंगे जो होगा वो आगे…ताइक्वांडो के रिफ्रेंस से अचानक मुक्कामार मेरे लाईफ में आ गया… ट्रेनिंग, एफडीपी, सामान्य जागरूकता, हैपी और आरामदायक वातावरण, समझदार और सहायक पूरी टीम।
सोचा ही नहीं था की ऐसे भी काम किया जाता है…ऑफिस का माहौल भी ऐसा की काम करने के लिए प्रेरित हो जाते हैं…फिर क्या रोज कुछ ना कुछ नया सीखने मिलता था…और सिखाने मिलता था… ये जो सफर है सीखने और सिखाने वाला उसमें इतने सारे लाइफ बदलने वाले पल आते हैं, ना की छोटी छोटी चीजों पर सोचने पे मजबूर हो जाते हैं। जैसे मैंने अभी बोला मुक्कामार के सफर के बारे में…इस में मैंने खुद में भी बहुत सारे बदलाव देखें…आत्मप्रेम, आत्मविश्वास, धैर्य, शांति ये सब बदलाव मेरे साथ मेरे आजू बाजू वाले लोगों को भी दिख रहे हैं। पहले ही साल में मेरे परफोमेंस के वजह से मुझे अलग अलग टास्क मिलते गए जैसे की कॉलेज में लिंग आधारित हिंसा (GBV) पर प्रेजेंटेशन देना का मौका मिला, हमारे डोनर के साथ मीटिंग में भाग लेने मिला… फिर एक दिन एक झटका लगा मुझे, जो हमारे वूमेंस डे के इवेंट में…हमारे 2 स्कूल टॉप 5 में आए और उसमें से एक स्कूल को फर्स्ट प्राइज मिला। इसके वजह से मुझे और मेरे पार्टनर को बेस्ट टीम का अवॉर्ड भी मिला। ये मेरे लिए बहुत बड़ी बात हैं। 1 साल में इतना कुछ बदल गया मुझमें और मेरे लाईफ में भी …जो भी हुआ वो मुक्कामार के वजह से। मुक्कामार अगर मेरे इस सफर में ना होता तो आज वाली शांती नजर नहीं आती। अब इंतजार हे अगले साल का, नए लोग मिलेंगे, नए टास्क रहेंगे, और ऐसे ही धमाकेबाज वाला काम करेंगे।